उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के बीच चला आ रहा 21 वर्ष पुराना संपत्ति विवाद खत्म

उत्तर प्रदेश का पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से 21 साल पुराना संपत्तियों का बंटवारा हो गया है। इसे सोमवार को अंतिम रूप दे दिया गया। संपत्तियों के बंटवारे से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए पिछले महीने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग ने संबंधित विभागों को आवश्यक कार्यवाही करने के लिए शासनादेश जारी कर दिया है।शासनादेश के साथ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक का कार्यवृत्त भी जारी किया गया है जिसके आधार पर संबंधित विभागों को कार्यवाही करनी है। संपत्तियों के बंटवारे को लेकर जो सहमति बनी है, उसके आधार पर उत्तर प्रदेश पर लगभग 300 करोड़ रुपये देनदारी है। कुछ विवादों का निपटारा हो चुका है।

शासनादेश के अनुसार उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के जो भूमि-भवन खाली पड़े हैं, उन्हें उत्तराखंड को हस्तांतरित करने के बारे में यह तय हुआ है कि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के उपयोग की भूमि व भवनों को चिन्हित करने के लिए दोनों राज्यों के सिंचाई विभागों के अधिकारियों की ओर से संयुक्त सर्वे करके इसके बारे में 15 दिनों में रिपोर्ट दी जाएगी। हरिद्वार में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की 697.576 हेक्टेयर भूमि का स्वामित्व उत्तर प्रदेश के पास रहेगा जो भविष्य में इस भूमि पर कुंभ मेला व अन्य आयोजनों के लिए अनुमति देगा।

उधम सिंह नगर में धौरा, बैगुल और नानक सागर जलाशय में पर्यटन व जल कीड़ा के लिए उत्तर प्रदेश शासन की ओर से ओर से अनुमति दे दी गई है। जल्द ही उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग इस बारे में आदेश जारी करेगा। पुरानी ऊपरी गंगनहर में वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति के लिए भी उत्तर प्रदेश शासन ने मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग इस बारे में भी तत्काल आदेश जारी करेगा।

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