पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने गुरुवार को कहा कि अंगदान से बड़ा कोई परोपकार नहीं है। मरणोपरांत यह शरीर हमारे लिए मिट्टी के समान है लेकिन हमारे द्वारा दान किए गए अंग किसी जरूरतमंद को दूसरा जीवन अवश्य प्रदान कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि एक दाता आठ लोगों की जान बचा सकता है। हमारे गुर्दे, यकृत, हृदय, फेफड़े, अग्न्याशय और आंत जीवन बचाने में सहायक हैं तो वहीं नेत्रदान दो नेत्रहीन व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बना सकता है। इससे पहले उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के रचना शरीर विभाग की ओर से आयोजित अंगदान पंजीकरण शिविर का शुभारंभ किया। इस अवसर पर अंगदान की शपथ लेते हुए उन्होंने अंगदान को महादान बताया तथा सभी देशवासियों से अंगदान का आह्वान किया।
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