तीन दिन से प्रशासन की नाक के नीचे चल रहे अवैध खनन में खनन माफियाओं ने किसानों के खेतों को भी निशाना बनाना शुरु कर दिया है।इतना ही नहीं खनन माफियाओं ने ग्राम सभा की जमीन को भी नहीं बक्शा है। उसको भी खोदकर क्रेशर स्वामियों की मदद से ठिकाने लगा दिया है। अवैध खनन का विरोध करने पर खनन माफियाओं द्वारा ग्रामीणों को धमकी तक दी जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी शिकायत करने पर फोन तक नहीं उठा रहे हैं। अब किसानों व ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक का दरवाजा खटखटाया है।
किसानों की शिकायत का संज्ञान लेते हुए क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत देर रात किसानों के साथ खनन बहुल क्षेत्र बाणगंगा में पहुंची, जहां पर कई जेसीबी मशीनों से किसानों के खेतों को खोद कर आरपीएम निकालकर ट्रैक्टर ट्राली के माध्यम से स्टोन क्रेशरों पर डाला जा रहा था। इस दौरान अनुपमा रावत ने दो ट्रैक्टर ट्राली को भी पकड़ा, जिसमें आरपीएम भरा हुआ था। आरोपित चालक लोगों की भीड़ देख ट्रैक्टर ट्राली छोड़ भाग गया था।विधायक के औचक निरीक्षण से खनन माफियाओं में खलबली मच गई और अपने-अपने वाहन व मशीन लेकर इधर-उधर भागते नजर आए, जिसका विडियो विधायक अनुपमा रावत ने अपने सोशल अकाउंट फेसबुक पर वायरल किया है, जिसमें किस तरह अवैध खनन का कारोबार फल फूल रहा है।किसानों ने विधायक को बताया कि यह अवैध खनन बाहरी लोगों के द्वारा प्रशासन के अधिकारियों के साथ साठगांठ करके किया जा रहा है, इसलिए कोई भी अधिकारी इन पर लगाम लगाने में असमर्थ है। वहीं अनुपमा रावत ने पुलिस, एसडीएम और खनन अधिकारी को फोन कर इन लोगों पर कार्रवाई करने की बात कही तो वह हाथ खींचते नजर आए।
इस दौरान विधायक अनुपमा रावत ने कहा कि वह एक शादी समारोह में जा रही थी, तभी कुछ किसानों का फोन आया कि खनन माफियाओं ने उनका खेत खोदकर ठिकाने लगा दिया है। उनके कहने से बाण गंगा में निरीक्षण करने पहुंची तो देखा की बाणगंगा में बड़ी-बड़ी मशीनों से बहारी व्यक्तियों द्वारा अवैध खनन किया जा रहा है। खेतों में 20-20 फीट गहरे गड्ढे बना दिए हैं।विधायक अनुपम रावत ने बताया कि जब उन्होंने एसडीएम को फोन लगाया तो उप जिलाधिकारी द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया और फोन स्विच ऑफ कर लिया। इसके बाद जिलाधिकारी हरिद्वार को फोन लगाया और उनको अवैध खनन होने की जानकारी दी और खनन कारोबारी पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि बाहरी व्यक्तियों द्वारा अवैध खनन प्रशासन की मिली भगत से किया जा रहा है, इसलिए अधिकारी खनन रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
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