संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को पुत्रदा एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा आवश्यक रूप से करनी चाहिए। इससे इन्हें योग्य संतान की प्राप्ति हो सकती है।एकादशी तिथि 12 जनवरी, बुधवार को शाम 04.49 से प्रारंभ होगी, जो 13 जनवरी, गुरुवार) की शाम 07.32 मिनट तक रहेगी। यह व्रत उदया तिथि में 13 जनवरी को रखा जाएगा। इसलिए व्रत का पारण 14 जनवरी को सूर्योदय के बाद होगा।
एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल चढ़ाएं। भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें। गणेश पूजा के बाद बाल गोपाल की पूजा शुरू करें।
– बाल गोपाल को पंचामृत से और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। वस्त्र हार-फूल और आभूषण अर्पित करें। फल, मिठाई, जनेऊ, नारियल, पंचामृत, दक्षिणा आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। तुलसी के पत्ते डालकर माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
– पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। पूजा में हुई अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांट दें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
– गुरुवार और एकादशी के योग में देवगुरु बृहस्पति की भी पूजा जरूर करें। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है, इसलिए शिवलिंग पर पीले फूल चढ़ाएं, भगवान को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
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