नवरात्रि के पावन दिन आज 7 अक्टूबर से शुरू हो चुके हैं. नवरात्रि में मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है. मां दुर्गा के इन नौ रूपों को बेहद शक्तिशाली माना जाता है. मान्यता है कि इन रूपों की पूजा करने से व्यक्ति सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त कर सकता है, हर तरह के दुख और संकट से मुक्ति पा सकता है और जीवन को सुखद बना सकता है.
मातारानी के इन रूपों के समान ही नौ आयुर्वेदिक औषधियां भी हैं, जिनका जिक्र मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति में किया गया है. इन नौ औषधियों की तुलना माता के नौ रूपों से करते हुए इन्हें नवदुर्गा कहा गया है. मान्यता है कि ये औषधियां व्यक्ति के सारे रोगों को हरने की क्षमता रखती हैं. ये मां दुर्गा के कवच की तरह मानव शरीर की रक्षा करती हैं. जानिए इन नौ चमत्कारी औषधियों के बारे में.
ये हैं 9 चमत्कारी औषधि
1. हरड़
हरड़ को माता शैलपुत्री का रूप माना गया है. हरड़ 7 तरह की होती है और सभी का अलग अलग उपयोग होता है. पहली हरीतिका भय को हरने वाली, दूसरी पथया यानी हरेक के लिए हितकारी, तीसरी कायस्थ जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए होती है. चौथी अमृता हरड़ जिसका सेवन अमृत के समान है, पांचवी हेमवती यानी हिमालय पर उत्पन्न होने वाली, छठी चेतकी, मन को प्रसन्न करने वाली और सातवीं श्रेयसी सभी का कल्याण करने वाली है.
2. ब्राह्मी
ब्राह्मी को मां का ब्रह्मचारिणी रूप कहा गया है. इसके सेवन से मस्तिष्क से संबन्धित रोग दूर होते हैं. याद्दाश्त प्रबल होती है, रक्त विकार दूर होते हैं और आयु बढ़ती है.
3. चन्दुसूर
चन्दुसूर को चंद्रघंटा का स्वरूप माना गया है. इसके पत्ते धनिये के समान दिखते हैं. ये हृदय रोगों और बीपी की समस्या में लाभकारी मानी जाती है. साथ ही मोटापे का नियंत्रित रखती है.
4. कुम्हड़ा
कुम्हड़ा की तुलना माता कूष्माण्डा के रूप से की गई है. इसके सेवन से शरीर बलवान बनता है. पुरुषों के लिए इसका सेवन वीर्यवर्धक है. ये पेट को साफ करता है, रक्त विकार दूर करता है और मानसिक समस्याओं व शारीरिक दोषों का निवारण करता है. इसके हृदय रोगियों के लिए भी लाभकारी माना गया है.
5. अलसी
अलसी के छोटे दानों को मां स्कंद माता से जोड़ा गया है. इसका सेवन करने से शरीर में वात, पित्त और कफ से जुड़े रोग दूर होते हैं.
6. मोइया
छठवीं चमत्कारी औषधि मोइया है. इसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका व माचिका नाम से भी जाना जाता है. इसकी तुलना माता कात्यायनी से की जाती है. ये कफ, पित्त और गले के रोगों का नाश करने वाली है.
7. नागदौन
नागदौन औषधि को माता कालरात्रि के समान माना गया है. जिस तरह मां कालरात्रि सभी संकटों को हर लेती है, उसी तरह नागदौन शारीरिक और मानसिकक सभी प्रकार के रोगों से लड़ सकती है. ये सभी प्रकार के विष को दूर करने में भी सक्षम मानी जाती है.
8. तुलसी
तुलसी को आयुर्वेद में महागौरी कहा गया है. तुलसी शरीर के इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखने के साथ कफ से जुड़े विकारों को दूर करती है. ये रक्त को साफ करती है और लंग्स, हार्ट और गले से जुड़े रोग दूर करने में उपयोगी है.
9. शतावरी
शतावरी को माता का नौवां रूप माना गया है. मानसिक बल और पुरुषों में वीर्य के लिए इसे सर्वोत्तम माना जाता है. साथ ही वात और पित्त संबन्धी विकारों को दूर करने में सहायक है. इसके नियमित सेवन से रक्त विकार दूर होते हैं.
जय माता दी।
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