अयोध्या में श्री रामलला अपने नए मंदिर में 22 जनवरी को विराजमान होंगे। उसकी खुशी अभी से तीर्थ नगरी हरिद्वार समेत उत्तराखंड में चारों ओर दिखाई दे रही है। साधु संतों के शैव, वैष्णव, उदासीन, निर्मल, गरीब दासी, कबीरपंथी दादू पंथी सभी संप्रदाय राम नाम की डोर में मानो एक साथ पिरो दिए गए हो।
हरिद्वार तीर्थ नगरी में हर की पैड़ी में मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और दशनामी परंपरा के श्री निरंजनी पंचायती अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी महाराज की अध्यक्षता में हुई। इस विशेष समारोह में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, श्री गंगा सभा के पदाधिकारी बड़ी तादाद में साधु संतों और राम भक्त जनता ने भाग लिया। हर की पैड़ी पर उत्तराखंड की पवित्र पावन नदियों गंगोत्री, यमुनोत्री और सरयू नदी के जल कलशों का पूजन किया गया। इसी के साथ मुख्यमंत्री और महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कन्या पूजन भी किया।
महंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि मकर संक्रांति के अवसर पर हर की पैड़ी से शुरू हुई जल कलश यात्रा का पहला चरण श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के चरण पादुका स्थल में समाप्त हुआ, जहां से मंगलवार को यह जल कलश यात्रा हरिद्वार के मुख्य मार्गो से होती हुई अयोध्या के लिए रवाना हुई।
दूसरे चरण में यह यात्रा मुरादाबाद में विश्राम करेगी। वहां से 17 जनवरी को चलकर बरेली पहुंचेगी और वहां से 18 जनवरी को तीसरे चरण में शुरू होकर लखनऊ पहुंचेगी। लखनऊ से रवाना होते हुए 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेगी। हरिद्वार में इस जल कलश यात्रा का लोगों ने जगह-जगह स्वागत किया और पूरा हरिद्वार का वातावरण राममय हो गया। कलश पूजन के समय हर की पैड़ी में साधु संतों और राम भक्तों पर हेलिकाप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का कांग्रेस द्वारा बहिष्कार करने के फैसले पर तंज कसते हुए भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हनुमान जी की कृपा है कि ऐसे वैसे कुछ लोग इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं।
महंत पुरी ने कहा, 500 साल बाद राम मंदिर अयोध्या में बनने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए सबसे बड़ा ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने लोगों से अपील की कि 22 जनवरी को अपने घरों के आगे दीप जलाएं और भगवान राम का भजन करें, कीर्तन करें, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
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