करोड़ों के घाटे में चल रहे रोडवेज को अधिकारियों की लापरवाही आए दिन भारी पड़ने लगी है। मंगलवार को फास्टैग का खाता खाली होने पर बसों के हर टोल प्लाजा पर दोगुना टोल चुकाने से हुए लाखों के नुकसान के मामले की आंच अभी ठंडी नहीं पड़ी थी कि अब बुधवार को पानी मिला हुआ डीजल पहुंचने का मामला सामने आ गया।रोडवेज पहले अपनी बसों के लिए बाहर से डीजल लेता था, लेकिन सभी डिपो पर अपने डीजल पंप लगने के बाद डीजल की बाहर से खरीद बंद कर दी गई। स्थिति यह है कि इसके बाद अधिकारियों-कर्मचारियों के कमीशन का खेल बंद हो गया। ऐसे में कुछ अधिकारियों ने ऐसी जुगत भिड़ाई कि रोडवेज को माह में दो से तीन बार डीजल बाहर से लेना पड़ता है। रोडवेज अधिकारी इसके लिए तय समय पर आयल कंपनी को भुगतान नहीं करते और कंपनी आपूर्ति नहीं देती। रोडवेज में हर रोज करीब 70 हजार लीटर डीजल की खपत होती है। सूत्र बता रहे कि बाहर से जो डीजल लिया जाता है, उसमें कमीशन तय होता है। ऐसे में बाहर से आए डीजल में भारी मात्रा में मिलावट होती है। पिछले दिनों टाटा कंपनी ने बसों की खराबी की असल वजह मिलावटयुक्त डीजल ही बताई थी। अब रुद्रपुर डिपो में पहुंचे पानी युक्त डीजल ने टाटा कंपनी का दावा सच साबित कर दिया।
वहीं, रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि रुद्रपुर डिपो में इंडियन आयल कंपनी से पहुंचे लाट में एक ड्रम में डीजल में पानी मिला है। बाकी लाट ठीक मिला है और इस संबंध में कंपनी के अधिकारियों को शिकायत भेज दी गई है। महाप्रबंधक ने कहा कि पानी मिले डीजल की बात पहली दफा सामने आई है। इसकी जांच कराई जा रही है।
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