धनतेरस का त्योहार, प्रकाश का त्योहार दिवाली की शुरुआत का प्रतीक होता है। इस पर्व को धनत्रयोदशी के रूप में भी जाना जाता है, इस दिन भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा कर उनसे प्रार्थना करते हैं।
धनतेरस कार्तिक महिने में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।
धनतेरस पर्व का शुभ मुहूर्त
गोधूलि मुहूर्त का समय- शाम के 5:05 मिनट से 5: 29 मिनट तक
प्रदोष काल का समय- शाम के 5:35 मिनट से 8:14 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त का समय- सुबह के 11:42 मिनट से 12:26 मिनट तक
त्रिपुष्कर योग का समय- सुबह के 6:06 मिनट से 11:31 तक।
धनतेरस मुहूर्त का समय- शाम के 6:18 मिनट से 8:11 मिनट तक
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का समय- सुबह के 11:44 मिनट तक
हस्त नक्षत्र का समय- सुबह के 11:45 मिनट से 3 नवंबर के सुबह 9:58 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पूजा की विधि:
धनतेरस पूजा के दिन शाम को पूजा के वक्त घर की उत्तर की ओर धनवंतरी और कुबेर जी की फोटो या फिर उनकी मूर्ती को स्थापित करें। उनके सामने एक दीया जलाएं। इस दिन घी का दीपक जलाना काफी शुभ माना जाता है। अब धूप और दीए से उनकी आरती करें। साथ ही धनवंतरी देवी को पीली मिठाई और कुबेर जी को सफेद मिठाई चढ़ाएं। पूजा के समय “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” मंत्र का जाप करें। इसके बाद “धनवंतरि स्तोत्र” का भी पाठ करें। आखिर में आरती करें फिर अपनी सभी गलतियों की क्षमा मांगें हाथ जोड़कर भगवान को प्रणाम करें।
भगवान धन्वन्तरि जी का मंत्र, इसका करें पाठ-
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृत कलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णु स्वरूप
श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
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