कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाता है।आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। अक्षय नवमी धात्री तथा कूष्मांडा नवमी के नाम से भी जानी जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 13 नवंबर 2021 को यह पर्व मनाया जाएगा। आओ जानते हैं आंवला का धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व।
धार्मिक महत्व :
1. पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आवंले के पेड़ पर निवास करते हैं। आंवला भगवान विष्णु का सबसे प्रिय फल है। इस दिन विष्णु सहित आंवला पेड़ की पूजा-अर्चना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
2. आंवले के वृक्ष में सभी देवी देवताओं का निवास होता है इसलिए इसकी पूजा का प्रचलन है। आंवले के वृक्ष की पूजा करने से देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण अपनी बाल लीलाओं का त्याग करके वृंदावन की गलियों को छोड़कर मथुरा चले गए थे।
4. इस दिन व्रत रखने से संतान की प्राप्ति भी होती है।
5. ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं।
6. अन्य दिनों की तुलना में आंवला नवमी पर किया गया दान पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है।
7. धर्मशास्त्र अनुसार इस दिन स्नान, दान, यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
आंवला का आयुर्वेदिक महत्व :
1. आयुर्वेद में आंवला सर्वाधिक स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार आंवला आयु बढ़ाने वाला फल है यह अमृत के समान माना गया है। इसका प्रतिदिन उचित मात्रा में सेवन करने से आयु वृद्धि बहुत धीरे धीरे होती है। चेहरे पर चमक बनी रहती है।
2. आंवला का पाउडर, चीनी के साथ मिलाकर खाने या पानी में डालकर पीने से एसिडिटी से राहत मिलती है। इसके अलावा आंवले का जूस पीने से पेट की सारी समस्याओं से निजात मिलती है।
3. रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर, प्रतिदिन आंवले के रस का सेवन करना काफी लाभप्रद होता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, और खून की कमी नहीं होने देता।
4. आंखों के लिए आंवला अमृत समान है, यह आंखों की ज्योति को बढ़ाने में सहायक होता है। इसके लिए रोजाना एक चम्मच आंवला के पाउडर को शहद के साथ लेने से लाभ मिलता है।
5. आंवले के सेवन से लंबे समय तक बाल काले और घने बने रहते हैं।
6. आंवला में विटामिन सी का सर्वोतम प्राकृतिक स्रोत है जो कभी नष्ट नहीं होता है। विटामिन−सी एक ऐसा नाजुक तत्व होता है जो गर्मी के प्रभाव से नष्ट हो जाता है, लेकिन आंवले का नष्ट नहीं होता। आंवला दाह, पांडु, रक्तपित्त, अरूचि, त्रिदोष, दमा, खांसी, श्वांस रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। यह पौरूष को बढ़ाता है।
7. मान्यता है कि अगर आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाकर खाया जाये तो सारे रोग दूर हो जाते हैं। दिमागी मेहनत करने वाले व्यक्तियों को वर्षभर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करना चाहिये। आंवले का नियमित सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है।
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