कोरोना की तीसरी लहर की मार उद्योगों पर पड़ने लगी है। ऑटोमोबाइल सेक्टर पर इसका सबसे बड़ा असर दिख रहा है। पंतनगर सिडकुल की ऑटोमोबाइल कंपनियों में कोरोना का खतरा बढ़ने के बाद डिमांड भी तेजी से गिरी है।इससे दोपहिया वाहनों का उत्पादन 30 से 35 फीसदी तक गिरा है। वहीं हरिद्वार की एक प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी के उत्पादन में 40 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है।सबसे बड़ा नुकसान दोपहिया वाहनों में हुआ है। पिछले दो महीने से प्रतिमाह तीस हजार दोपहिया वाहन कम बन रहे हैं। सिडकुल में इस समय 55 से 60 हजार के करीब दोपहिया वाहन ही बन रहे हैं। जबकि दो महीने पहले तक यहां प्रतिमाह 80 से 90 हजार तक दो पहिया वाहन बन रहे थे।
ब्रेक:सिडकुल की कई ऑटोमोबाइल कंपनियां शनिवार को प्रोडक्शन नहीं कर रही हैं। डिमांड कम होने की वजह से कम उत्पादन किया जा रहा है। इसके अलावा रविवार को भी प्रोडक्शन नहीं होता है। ऐसे में सिडकुल की ऑटोमोबाइल कंपनियों में फाइव डे वर्किंग चल रही है। कर्मचारियों को अब शनिवार को भी ब्रेक दिया जा रहा है।
सिडकुल में करीब 50 हजार से अधिक लोग विभिन्न कंपनियों में स्थाई या अस्थायी रूप से काम करते हैं। डिमांड कम होने पर कम शिफ्टों और कम दिनों उत्पादन किया जाता है। ऐसे में अगर डिमांड और गिरती है तो कई अस्थायी कर्मियों की जॉब पर भी संकट छा सकता है। बिना काम के वेतन में कटौती या छंटनी का खतरा भी बढ़ सकता है।
सिडकुल की एक नामी दुपहिया वाहन कम्पनी में नवम्बर 2021 तक प्रतिदिन 9500 और महीने में 2.85 लाख दोपहिया का उत्पादन किया जा रहा था। आज 40 फीसदी उत्पादन घटने के बाद प्रतिदिन 6100 का उत्पादन हो रहा है।
मार्केट में डिमांड कम है। यह कोरोना का असर हो सकता है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में डिमांड 40 फीसदी तक कम हुई है। दोपहिया वाहनों के उत्पादन में ही प्रतिमाह करीब 20 से तीस हजार तक की कमी है। कोरोना ओर तेजी से बड़ा तो डिमांड और गिर सकती है।
कच्चा माल महंगा होने के साथ ही आयात में दिक्कतें आ रही हैं। पिछले दो लॉकडाउन के कारण जो नुकसान उठाना पड़ा, उससे सबक लेकर उद्योग माल उत्पादन घटा रहे हैं।
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