हरिद्वार तीर्थ क्षेत्र से अब जल्द ही सभी मांस मछली की दुकानों को बाहर कर दिया जाएगा। इन दुकानों को सराय भेजने की कवायद शुरू हो गई है। हरिद्वार यूं तो पहले से ही मांस मद्य निषिद्ध क्षेत्र है, लेकिन इसका पूरी तरह पालन नहीं हो रहा।
अब ज्वालापुर के श्रीराम चौक के बाद से ही मांस मिलना शुरू हो जाता है। जबकि पहले बहादराबाद मिलने वाली शराब भी अब भेल ज्वालापुर कनखल तक बिकने लगी है। फिलहाल प्रशासन ने मांस की दुकानों को शहर से बाहर सराय भेजने की तैयारी कर ली है।
गौरतलब है कि 1916 में महामना मदन मोहन मालवीय ने अंग्रेजों से गंगा पर बांध की लड़ाई जीतने के बाद हरिद्वार और गंगा की पवित्रता शुचिता की रक्षा के लिए तत्कालीन तीर्थ पुरोहितों व हरिद्वार के गणमान्य जनों को लेकर एक समिति बनायी थी। इस समिति के सुझावों पर ही तब हरिद्वार नगर पालिका ने हरिद्वार के लिए नीति नियम तय किए और हरकी पैड़ी को केंद्र में रखते हुए आठ किलोमीटर क्षेत्र को मांस मदिरा निषिद्ध करते हुए हरकी पैड़ी क्षेत्र में भी करीब तीन दर्जन कामों को निषिद्ध कर दिया था। इनमें गंगा तट पर खाने पीने की दुकानें, घाटों पर जूते-चप्पल, वाहन, चमड़े की वस्तुएं प्रतिबंधित की गई थी, लेकिन समय के साथ मांस मदिरा निषिद्ध क्षेत्र घटता चला गया।
सिटी मजिस्ट्रेट रविन्द्र जुवांठा ने बताया कि मांस की दुकानों के लिए सराय में व्यवस्था कर दी गई है। इसके लिए नगर निगम के साथ मिलकर टीमों का गठन कर दिया गया है। शीघ्र सभी मांस की दुकानों को सराय शिफ्ट कर दिया जाएगा।
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