केदारनाथ आपदा के नौ साल बाद केदारनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार में गेट का निर्माण कार्य किया जा रहा है. इसके साथ ही गेट पर घंटा भी लगाया जायेगा. तीर्थ पुरोहित पिछले लम्बे समय से इस मांग को करते आ रहे थे. जिस पर बद्री-केदार मंदिर समिति ने संज्ञान लेते हुए कार्य शुरू करवा दिया है. केदारनाथ मंदिर परिसर में परिक्रमा का सीमांकन (बाउंड्री वाल) के साथ प्रवेश द्वार के निर्माण को लेकर भूमि पूजन किया गया. प्रवेश द्वार के निर्माण के बाद उस पर घंटा भी लगाया जाएगा. केदारनाथ में भूमि पूजन बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति, जिला प्रशासन और केदार सभा ने संयुक्त रूप से किया. गेट के भूमि पूजन का कार्यक्रम पंडित संजय कुर्माचली ने विधि-विधान से संपन्न किया.
आपदा से पहले केदारनाथ मंदिर में गेट और गेट पर बड़ा सा घंटा लगा था लेकिन आपदा के बाद यह निर्माण कार्य नहीं किया गया. ऐसे में तीर्थ पुरोहितों की ओर से बार-बार गेट निर्माण के साथ ही घंटा लगाने की मांग की जा रही थी. अब केदारनाथ धाम में प्रवेश द्वार के निर्माण के साथ ही मंदिर परिसर में बाउंड्री वाल का भी निर्माण किया जायेगा. मंदिर की परिक्रमा पर बाउंड्री वाल के निर्माण के पश्चात यात्री एक निश्चित दूरी तक ही जूते-चप्पल पहन कर जा सकेंगे. बिना बाउंड्री वाल के यात्री मौसम खराब रहने पर जूते-चप्पल पहनकर मंदिर के समीप पहुंच जाते हैं.
विगत दिनों बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर को पत्र लिखकर और दूरभाष पर बात कर मंदिर के चारों ओर पौराणिक शैली में बाउंड्री वाल बनाने को कहा था. इसके अलावा उन्होंने केदारनाथ मास्टर प्लान के मुख्य वास्तुविद धर्मेश गंगानी के साथ स्थलीय निरीक्षण कर इस संबंध में अपने सुझाव दिए थे. इसके अलावा तीर्थ पुरोहितों द्वारा मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार पर पहले की भांति घंटा स्थापित करने का सुझाव दिया गया था. इसी क्रम में शासन ने बाउंड्री वाल के साथ प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए स्वीकृति प्रदान की, जिसकी भूमि पूजन का कार्यक्रम किया गया. तीर्थ पुरोहित राजकुमार तिवारी ने बताया कि केदारनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार को लेकर भूमि पूजन कार्यक्रम किया गया है. इस निर्माण के बाद मंदिर और भव्य नजर आयेगा.
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