देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार अब प्रत्येक परिवार को ‘आइवरमेक्टिन’ (Ivermectin) दवा देगी। मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से इसका आदेश जारी कर दिया गया है।
टीकाकरण की तरह ही संक्रमण की रोकथाम के लिए इस दवा का इस्तेमाल प्रदेश में किया जाएगा। आइवरमेक्टिन दवा को बांटने में ग्राम पंचायत से लेकर आंगनबाड़ी वर्कर, ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी सहित अन्य का सहयोग लिया जाएगा।
मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश के मुताबिक प्रत्येक परिवार के लिए किट तैयार की जाएगी और स्वयं सहायता समूहों के जरिए यह किट प्रत्येक परिवार तक पहुंचाई जाएगी। इसके लिए गैर सरकारी संस्थाओं को प्रति किट एक रुपया दिया जाएगा। बताया गया कि राज्य स्तरीय तकनीकी परामर्श समिति की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद ही यह कदम उठाया गया है।
दवा की डोज:
- 15 साल की उम्र से ज्यादा वालों को 12 मिलीग्राम की एक गोली सुबह और एक गोली शाम को खाना खाने केे बाद तीन दिन के लिए। इस हिसाब से किट में एक व्यक्ति के लिए छह गोलियां होंगी।
- 10 से 15 साल के बच्चों के लिए हर रोज 12 एमजी की एक गोली दिन में खाना खाने के बाद।
- दो से लेकर दस साल तक के बच्चों को डाक्टर की सलाह पर ही दवा दी जाएगी।
- दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और लीवर रोग से ग्रसित व्यक्तियों को यह दवा नहीं दी जाएगी।
- इस दवा के उपयोग का विवरण किट में रखा जाये।
क्या है आइवरमेक्टिन:
आइवरमेक्टिन एक एंटी-पैरास्टिक दवाई है, जिसे भारत में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा मंजूरी दी गई है। इस दवाई का इस्तेमाल मुख्य रूप से डॉक्टरों की सलाह पर किया जाता है, जो किसी तरह के संक्रमण को रोकने का काम करती है। अधिकतर ये दवाई उन मरीजों को दी जाती है, जो कि strongyloidiasis और onchocerciasis का सामना कर रहे हैं।
इससे पहले सोमवार को गोवा सरकार ने राज्य में आइवरमेक्टीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। गोवा सरकार ने नया ‘कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल’ जारी करते हुए कहा था कि, कोविड के 18 साल से ऊपर के रोगियों को इलाज के लिए आइवरमेक्टीन दी जा सकती है।
फ्रंट लाइन कोविड-19 क्रिटिकल केयर अलायंस (एफएलसीसीसी) के अध्यक्ष और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पियरे कोरी ने बताया, हमने इवरमेक्टिन दवा के उपलब्ध आंकड़ों की व्यापक समीक्षा की है। कई स्तरों पर की गई समीक्षा और डाटा के अध्ययन के आधार पर हम कह सकते हैं कि आइवरमेक्टीन दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस की इस गंभीर महामारी को खत्म करने में सहायक साबित हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आइवरमेक्टिन के उपयोग के प्रति आगाह किया है। इसके बावजूूूद राज्य इस दवा के उपयोग को व्यापक स्तर पर प्रयोग की अनुमति दे रहे हैं। कारण यह भी हैं कि दवा को लेकर दोनों तरह के शोध सामने आए हैं।
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आइवरमेक्टिन की निर्माता कंपनी मर्क ने भी कोविड-19 में इसके इस्तेमाल को लेकर चेताया है। कंपनी की तरफ से एक बयान में कहा गया है कि कोविड-19 में आइवरमेक्टीन के प्रभाव को लेकर हमारे वैज्ञानिक हर स्तर पर इसके तथ्यों और संबंधित अध्ययनों की जांच कर रहे हैं। कोविड-19 में इस दवा के प्रभाव को लेकर अब तक जो भी अध्ययन हुए हैं उनमें सुरक्षात्मक कमी नजर आ रही है, इसलिए फिलहाल इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
विशेषज्ञों ने इस दवा को एचआईवी, डेंगू, जीका, और इन्फ्लुएंजा जैसे वायरस की एक विस्तृत श्रृंखला के खिलाफ काफी प्रभावी पाया है। आइवरमेक्टीन एक एंटी-पैरासिटिक दवा है जिसे भारत में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कई तरह के संक्रमणों में इस्तेमाल करने की पहले ही मंजूरी दी है।
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