जोशीमठ में दरार ग्रस्त घरों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू

देहरादूनः जोशीमठ में दरार ग्रस्त घरों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हो गई है. चरणबद्ध तरीके से ध्वस्तीकरण के बाद फिर से किस प्लानिंग के तहत जोशीमठ शहर को बसाया जाएगा? यह सवाल बना हुआ है. जिसे लेकर रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने बताया कि जोशीमठ में नॉन ब्लास्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर भवनों को गिराया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने बताया कि अस्थायी शेल्टर का जिम्मा भी उन्हें ही सौंपा गया है.सीएसआईआर-सीबीआरआई के निदेशक प्रदीप कुमार ने बताया कि उनकी टीम जोशीमठ के लिए रवाना हो गई है. जोशीमठ में पहले कमर्शियल भवनों को गिराने की कार्रवाई हो रही है. उसके बाद आवासीय भवनों को भी चरणबद्ध तरीके से गिराया जाएगा. उन्होंने बताया कि जोशीमठ में नॉन ब्लास्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा. इसके तहत मैकेनिकल डेमोलिशन प्रोसेस का इस्तेमाल कर बिल्डिंग को अनलोडिंग किया जाएगा. जिसके बाद धीरे-धीरे इन दो बड़े होटलों को जमींदोज किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया को सीबीआरआई की निगरानी में कई अन्य विभाग मिलकर अंजाम देंगे. वहीं, इसके अलावा सीबीआरआई के निदेशक प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने बताया कि जोशीमठ में बेघर हुए लोगों को अस्थायी घर देने यानी अस्थायी सेंटर शेल्टर बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही दी गई है. जल्द ही सीबीआरआई की एक और टीम अस्थायी शेल्टर बनाने के लिए जोशीमठ रवाना होगी.

धीरे-धीरे दरक रहे जोशीमठ में जहां एक तरफ चरणबद्ध तरीके से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ दोबारा से जोशीमठ शहर को किस तरह से बसाया जाना है? यह एक बड़ा सवाल है. सीबीआरआई के निदेशक प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने बताया कि जोशीमठ शहर एक तरह से स्लोप पर बसा हुआ है. उसमें कई तरह के मल्टी इंस्टीट्यूशन और मल्टी डिसिप्लिन एरिया की भूमिका है.

उन्होंने कहा कि हर एक शहर के लिए अलग प्रस्तुति होगी. जिसके लिए एक विस्तृत अध्ययन की जरूरत है. कोई एक फार्मूला किसी भी शहर पर लागू नहीं होगा. जिसमें स्पष्ट रूप से कुछ कहना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ शहर को दोबारा बसाने के लिए बहुत सारे एक्सपर्ट की सलाह लेकर उत्तराखंड सरकार को रिपोर्ट दी जाएगी. इस पर सरकार को फैसला लेना होगा

 

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