मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुंजा बहादुरपुर, रुड़की में 1822-24 की क्रांति के दौरान शहीद हुए राजा विजय सिंह, सेनापति कल्याण सिंह और अन्य 152 शहीदों के 200वें बलिदान दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की।इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी से पहले दिए गए इन बलिदानों को आने वाली पीढ़ी को हमेशा याद रखना चाहिए, क्योंकि यह संघर्ष और बलिदान से प्राप्त स्वतंत्रता का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंजा बहादुरपुर की वीर भूमि से ही भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम ज्वाला प्रज्वलित हुई थी। 1822-24 के दौरान अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शुरू हुआ यह विद्रोह ब्रिटिश शासन को हिला देने वाला था। 3 अक्टूबर 1824 का वह दिन इतिहास में दर्ज है, जब राजा विजय सिंह, सेनापति कल्याण सिंह और उनके 152 वीर सैनिकों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। यह बलिदान स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाला महत्वपूर्ण अध्याय था, जिसने 1857 से 35 साल पहले ही स्वतंत्रता की लौ जला दी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बलिदानी स्थल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिलाने और शहीदों के बलिदान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी। इस मौके पर उन्होंने 1822-24 के शहीदों के जीवन पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी किया।
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