प्रदेश के रायवाला और भोगपुर के बीच गंगा में जारी अवैध खनन पर गंभीर रुख अख्यितार करते हुए उच्च न्यायालय ने हरिद्वार जिले में 121 स्टोन क्रशर मशीनों को नदी से पांच किलोमीटर से अधिक की दूरी पर स्थानांतरित करने में अधिकारियों की कथित विफलता पर सवाल उठाए।
न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने रायवाला और भोगपुर के बीच गंगा में अवैध खनन के खिलाफ दायर एक जनहित यचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा कि क्षेत्र में स्टोन क्रशर मशीनों को स्थानांतरित करने के लिए उपयुक्त स्थानों का चयन अब तक क्यों नहीं किया गया?उच्च न्यायालय ने इस बात पर भी गहरी नाराजगी जताई कि स्टोन क्रशर मशीनों को नदी से पांच किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थानांतरित करने के लिए स्थानों का चिन्हीकरण किए जाने के संबंध में पूर्व में अदालत और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी।अदालत ने मामले को ‘अत्यधिक गंभीर’ बताते हुए इस बात पर भी सवाल उठाया कि पहले बंद हो चुकी स्टोन क्रशर की 48 मशीनों को बिना उसकी अनुमति के दोबारा कैसे शुरू कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि रायवाला और भोगपुर के बीच नियमों का उल्लंघन कर गंगा में अनियंत्रित अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे नदी के अस्तित्व को खतरा हो गया है।याचिकाकर्ताओं ने अदालत से नदी में अवैध खनन पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। इस मामले में अगली सुनवाई 18 जून को होगी
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