हरिद्वार में पहली बार आयोजित हुआ ब्लाइंड क्रिकेट टूर्नामेंट

हरिद्वार: क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसका जादू भारतीयों के सिर चढ़कर बोलता है. इनदिनों आईपीएल भी चल रहा है तो क्रिकेट की खुमारी में पूरा देश डूबा हुआ है. ऐसे में धर्मनगरी हरिद्वार में भी एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. ये आयोजन इस मायने में खास था क्योंकि ये टूर्नामेंट ब्लाइंड क्रिकेट टीमों के बीच कराया गया था. इस मैच में उत्तराखंड और महाराष्ट्र की टीम ने हिस्सा लिया था.

बता दें कि, दृष्टिहीन बच्चों के क्रिकेट को प्रमोट करने और बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए अनाम प्रेम संस्था द्वारा हरिद्वार में महाराष्ट्र और उत्तराखंड की ब्लाइंड क्रिकेट टीमों के बीच मैच ये कराया गया है. गुरुवार को जमालपुर क्रिकेट ग्राउंड में दोनों राज्यों के दृष्टिहीन बच्चों की क्रिकेट टीमों के बीच मैच खेला गया.इस मौके पर महाराष्ट्र टीम के कोच और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के साथ मैच खेल चुके पूर्व क्रिकेटर अजय मुनि ने बताया कि यह पहली बार है जब हरिद्वार में दृष्टिहीन खिलाड़ियों का क्रिकेट मैच आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने खेल की बारीकियों पर बात करते हुए बताया कि इस खेल में बी1, बी2 और बी3 कैटेगरी में 3 तरह के खिलाड़ी होते हैं.बी1 कैटेगरी उनकी होती है जो पूरी तरह से दृष्टिहीन होते हैं बी2 खिलाड़ी 3 मीटर तक देख सकते हैं जबकि बी3 खिलाड़ी को 6 मीटर तक की हलचल दिखती है. एक टीम में बी3 वाले खिलाड़ी के रूप में विकेट कीपर और कैप्टन होते हैं. बी1 वाले 4 बॉलर होते हैं. खिलाड़ी द्वारा जो रन लिए जाते हैं उनके दो गुना रन स्कोर बुक में जोड़े जाते हैं.हरिद्वार में आयोजित हो रहे इस मैच में उत्तराखंड की टीम की तरफ से हिस्सा लेने हरिद्वार पहुंचे इंडियन ब्लाइंड क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर अमनदीप ने बताया कि उनकी लगातार कोशिश रहती है कि वो दृष्टिहीन बच्चों को प्लेटफार्म मुहैया करा सकें. उनकी टीम अभी हाल ही में गोवा और पांडिचेरी गई थी. वो पहली बार हरिद्वार आए है.

उन्होंने अपने खेल को लेकर आ रही परेशानियों पर भी बात की. उन्होंने बताया कि दृष्टि बाधित खिलाड़ियों को प्रदेश सरकार से वो सहायता नहीं पाती जिसके वो हकदार हैं. अमनदीप ने बताया कि उत्तराखंड के 5 खिलाड़ी पहले वर्ल्ड कप का हिस्सा थे. 2002 के वर्ल्ड कप में 4 खिलाड़ी इंडियन टीम का हिस्सा रहे जबकि आज एक भी उत्तराखंड का खिलाड़ी भारतीय टीम में नहीं है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि वो अन्य राज्यों दिल्ली, हरियाणा और आंध्र की तर्ज पर उत्तराखंड के खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित करें.

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