हिंदू धर्म में पूर्णिमा का सबसे अधिक महत्व है. पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा होता है. पौष पूर्णिमा के दिन व्रत रखने, चंद्रमा माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. इस तिथि को चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है.वहीं पौष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि भी खास हो जाती है. पौष मास की पूर्णिमा साल की पहली पूर्णिमा होती है. हर साल जनवरी माह में ही पौष माह की पूर्णिमा पड़ती है. पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है.पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. वहीं पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी बहुत अधिक महत्व होता है. साथ ही इस दिन दान करने से भी कई गुना फल की प्राप्ति होती है.
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जनवरी 17, 2022 को 03:18 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – जनवरी 18, 2022 को 05:17 ए एम बजे
माघ मास का दूसरा प्रमुख स्नान पर्व पौष पूर्णिमा 17 जनवरी यानी सोमवार को है. शुभ पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 16 जनवरी, रविवार की रात 2:40 बजे शुरू हो जाएगी, जो 17 को भोर में 4: 30 बजे तक रहेगी. इसलिए पूर्णिमा तिथि के स्नान दान का शुभ मुहूर्त उदया तिथि में 17 की ब्रह्ममुहुर्त से शुरू हो जाएगा.
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है. आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं. नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें.
नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.
पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है.
इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें.
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