हिंदू धर्म में सुहागिन, सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा पति के दीर्घायु, स्वास्थ्य व अखंड प्रेम के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ व्रत कार्तिक कृष्ण चतुर्थी एक नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा।
इस बार सायं कालीन प्रदोषकाल पूजन समय में सर्वार्थसिद्धि योग के साथ शिव योग का संयोग होने से अत्यंत शुभ है।करवाचौथ के पूरे दिन निराजल व्रत (बिना पानी पिए) रखकर शाम के समय 16 शृंगार करके भगवान भगवान गणेश जी, शिव-पार्वती व चंद्रमा की पूजा सुहागिन करती है। करवाचौथ की कहानी पढ़ती व सुनती है। चन्द्रमा के उदय होने पर उनको अघ्र्य देकर आरती करती है।
छलनी से दीपक की रोशनी में चन्द्रमा को देखने के बाद अपने पति को देखती है, पति के हाथों से जल पीकर व्रत पूर्ण करती है व आशीर्वाद लेती है। करवाचौथ का पूजन शुभ मुहूर्त सायं काल 6:21 से 8:17 तक स्थिर लग्न, शिव योग, शुभ चौघड़िया, चंन्द्रोदय रात 8:12 पर करवाचौथ पूजन सामान में मिट्टी या तांबे का करवा ढक्कन सहित, छलनी, कलश, करवाचौथ कथा पुस्तक, रोली, कलावा, पान, दूध, दही, अक्षत, मालाफुल, मिठाई, हल्दी, शहद, देशी घी, कोई आभूषण जैसे बिछिया या पायल आदि की आवश्यकता होती है। करवाचौथ पर कोई भद्रा या अशुभ योग नहीं है।
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