हरिद्वार श्रावण मास की कांवड़ यात्रा पर पंचक के कारण अब यात्रा की भीड़ कुछ दिनों के लिए हल्की हो जाएंगी। गुरुवार तड़के करीब तीन बजे से पंचक लग गए हैं। जिसका समापन 10 जुलाई की शाम को होगा। जिसके बाद कांवड़ियों की भारी भीड़ हरिद्वार में फिर से जुटने लगेगी। पंड़ित मनोज त्रिपाठी के अनुसार गुरुवार सुबह 2:55 बजे पंचक शुरू हो गए थे, जो अब 10 जुलाई की शाम 6:57 बजे समाप्त होंगे।
शास्त्रीय विधा के अनुसार जब भी धनिष्ठा, शतभिषा, पूभा, उभी और रेवती नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं, तब बांस से बने सामान की खरीद और स्पर्श वर्जित होते हैं। यद्यपि बदलते दौर में कांवड़ बनाने में बांस का प्रयोग काफी कम होने लगा है। फिर भी बांस की टोकरियों में गंगाजल रखकर ले जाने वालों की संख्या कम नहीं है। विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कांवड़िए पंचकों से बचकर जल भरने आते हैं। इसी कारण बुधवार की रात को पैदल जाने वाले कांवड़िए जल भरकर निकल गए। हालांकि हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के कांवड़िए पंचक को कम मानते हैं। गुरुवार को पंचक लगने से पहले देर रात तक कांवड़ियों की वापसी हो रही थी। लौटने वाले जो पंचकों का परहेज करते हैं उन्होंने पंचक लगने से पहले जल भर लिया और अपने गंतव्यों की ओर रवाना हुए।
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