आज से पितृ पक्ष आरंभ हो गया है. आज भाद्रपद मास की पूर्णिमा है और पूर्णिमा व्रत को कई धार्मिक संस्कृतियों में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत को करने से शरीर को शुद्धि मिलती है.
इससे शारीरिक व मानसिक रूप से अच्छी सेहत प्राप्त होती है. मान्यता है कि इस दिन नियमित मात्र पिंडदान करें तो पितर के आत्मा को मुक्ति मिलती है. पूर्णिमा का व्रत सुख-शांति व संपन्नता प्रदान करता है. व्रत को परिवार के साथ करने से परिवार में एकता और प्रेम बढ़ता है. इतना ही नहीं इसे करने से मां लक्ष्मी की कृपा और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में ऐसा वर्णित है की जो व्यक्ति विधिपूर्वक शांत चित्त होकर श्रद्धा के साथ पिंडदान करते हैं, तो उनके पितर सर्व पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं, उनका संसार में आवागमन के चक्र से छूटकारा मिल जाती है. “श्राद्धकल्पता” अनुसार, पितरों के उद्देश्य से श्रद्धा एवं आस्तिकतापूर्वक पदार्थ-त्याग का दूसरा नाम ही श्राद्ध है.
भाद्रपद की प्रतिपदा आज दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से 30 सितंबर दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगी. पितृ पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध दोपहर के समय किया जाता है. यही वजह है कि आज प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध मान्य होगा. पूर्णिमा का श्राद्ध पितृ पक्ष के आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या पर किया जाता है. इस साल सर्व पिृत अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 को है.
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