गणेश जी की पूजा माता लक्ष्मी के साथ क्यों होती है -जाने

हर साल कार्तिक मास में अमावस्या तिथि को दीवाली का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार दीवाली 04 नवंबर 2021 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन रात्रि में दिवाली पर लक्ष्मी गणेश का पूजन किया जाता है यह तो सर्वविदित है।आपने अब तक देखा होगा कि सभी देवों को उनकी देवियों के साथ पूजा जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु के अलावा गणेश जी का पूजन क्यों किया जाता है और मां लक्ष्मी की प्रतिमा सदैव गणेश जी के दाहिनी ओर क्यों रखी जाती है। तो चलिए जानते हैं कि लक्ष्मी जी के साथ क्यों किया जाता है गणेश जी का पूजन और क्यों लक्ष्मी विराजती हैं गणेश के दाहिनी ओर।

इसलिए की जाती है लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी धन के देवी हैं। उन्हीं की कृपा से संसार के मनुष्यों को धन-दौलत की प्राप्ति होती है, लेकिन मां लक्ष्मी की उत्पत्ति जल से होने के कारण वे एक स्थान पर नहीं ठहरती हैं। लक्ष्मी जी को संभालने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है और गणेश जी को बुद्धि के देवता कहा गया है, इसलिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन किया जाता है। कहा जाता है कि यदि मनुष्य को अधिक लक्ष्मी यानी अत्यधिक धन की प्राप्ति हो जाए तो वह चकाचौंध में खो जाता है ऐसे में वह बुद्धि से काम ले इसलिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी का पूजन करना आवश्यक होता है।

क्यों गणेश जी के दाहिनी ओर विराजती हैं मां लक्ष्मी
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी को स्वयं पर अभिमान हो गया कि धन प्राप्ति के लिए सारा संसार उनकी पूजा करता है और उन्हें पाने के लिए लालायित रहता है। भगवान विष्णु उनकी यह भावना को ज्ञात हो गई। मां लक्ष्मी का अंहकार दूर करने हेतु भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि ‘देवी भले ही सारा संसार आपकी पूजन करता है और आपको पाने के लिए व्याकुल रहता है आप अभी तक अपूर्ण हैं।’

यह बात सुनने के बाद माता लक्ष्मी ने जिज्ञासावश विष्णु जी से अपनी कमी के बारे में पूछा, तब विष्णु जी ने उनसे कहा कि ‘जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती तब तक वह पूर्णता को प्राप्त नहीं करती। आप नि:सन्तान होने के कारण अपूर्ण है।’

माता लक्ष्मी कोल इस बात से अत्यंत दु:ख हुआ और उन्होंने अपनी सखी पार्वती को अपनी पीड़ा बताई। जिसके बाद माता लक्ष्मी का दु:ख दूर करने के उद्देश्य से पार्वती जी ने अपने पुत्र गणेश को उन्हें गोद दे दिया। तभी से भगवान गणेश माता लक्ष्मी के ‘दत्तक-पुत्र’ कहलाए। गणेश जी को पुत्र रूप में प्राप्त करके माता लक्ष्मी अतिप्रसन्न हुई और उन्होंने गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा करेगा मैं उसके यहां वास करूंगी, धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसलिए सदैव लक्ष्मी जी के साथ उनके ‘दत्तक-पुत्र’ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। क्योंकि माता सदैव अपने पुत्र के दाहिनी ओर विराजती है। यही कारण है कि मां लक्ष्मी गणेश जी के दाहिनी ओर विराजती हैं।

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