श्रावना पूर्णिमा तिथी दो दिन पड़ने और भद्रा होने के कारण इस बार रक्षाबन्धन त्यौहार को लेकर सभी लोगो में संशय की स्थिति बनी हुयी है हालांकि 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथी 10 बजकर 38 मिनट में प्रारंभ हो जायेगी उसी के साथ 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथी प्रारम्भ होने के साथ साथ प्रात:10 बजकर 38 मिनट से भद्रा प्रारम्भ होकर रात्री 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगी धर्म ग्रंथ एंव धर्म शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल दो कार्य पूर्ण रुप से मना किये जाते है
भद्रायां द्वेन कर्तव्ये, श्रावणी फाल्गुनी तथा|
श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी ||
अर्थात् भद्रा में श्रावणी नहीं करें इससे राजाओं का नाश होता है तथा भद्रा में फाल्गुनी भी नहीं करें इससे ग्राम में अग्नि का भय होता है। शास्त्री महेश चंद्र जोशी ने बताया की 12 अगस्त को प्रातः 7 बजकर 8 मिनट तक पूर्णिमा रहेगी जो भद्रा रहित होगी इस समय सभी लोग रक्षा बन्धन का त्यौहार मना सकते है।के अनुसार भद्रा में श्रावणी और फाल्गुनी पूर्णिमा वर्जित माना गया है।
12 अगस्त को प्रात: सूर्योदय 5 बजकर 31 मिनट पर होगा और पूर्णिमा का मान प्रात: 7 बजकर 08 मिनट तक है। उन्होंने बताया शास्त्रों के अनुसार जिस तिथि में सूर्योदय होता है, वही अस्त कहलाता है। अत: पूर्णिमा उदयव्यापिनी 12 अगस्त को मनाना श्रेष्ठकर माना गया है।शास्त्री महेश चंद्र जोशी का कहना है कि 11 अगस्त को भद्रा होने के कारण रक्षा सूत्र बांधना उचित नहीं है क्योंकि भद्रा शनि की बहन है इसलिए भद्रा में भूलकर भी रक्षा सूत्र नहीं मानना चाहिए। उन्होंने बताया 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि 7:08 तक है उन्होंने बताया रक्षा सूत्र और जनेऊ आदि सुबह 7:08 बजे से पहले प्रतिष्ठा कर ले उसके बाद पूरे दिन उसे धारण किया जा सकता है।
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