अखाड़ा परिषद करेगा फर्जी संतों पर कार्रवाई

हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (महानिर्वाणी) ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अभद्र टिप्पणी करने वाले कालीचरण के बयान की निदा की। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविद्र पुरी महाराज ने कहा कि परिषद ऐसे फर्जी संत-महंतों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।उन्होंने मठ-मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करने के लिए सरकार से केंद्रीय कानून बनाने की भी मांग की।

शुक्रवार को हरिद्वार स्थित श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल में अखाड़ा परिषद की बैठक में फर्जी संतों पर परिषद की ओर से कार्रवाई किए जाने का प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित किया गया। बैठक में परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविद्रपुरी महाराज ने कहा कि कालीचरण के खिलाफ कानून अपना काम कर रहा है। अखाड़ा परिषद जल्द ही बैठक कर इस तरह के फर्जी संतों की सूची बनाएगी। साथ ही, केंद्र व राज्य सरकारों को भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखेगी। देश के सभी राज्यों को परिषद की ओर से यह सूची भेजी जाएगी और राज्य सरकारों को लिखा जाएगा कि वह भी अपने स्तर पर ऐसे फर्जी संतों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करें। श्रीमहंत ने कर्नाटक सरकार के मठ-मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त किए जाने के संबंध में कानून बनाए जाने के प्रस्ताव का स्वागत किया। इस मौके पर कोठारी महंत जसविदर सिंह महाराज ने कहा कि मठ-मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करने के लिए अखिल भारतीय संत समिति के दिल्ली में शुरू किए गए आंदोलन के बाद सरकारों ने सकारात्मक कदम उठाने शुरू किए हैं। उत्तराखंड सरकार ने देवस्थानम बोर्ड निरस्त कर इसकी पहल की थी, अब कर्नाटक सरकार का प्रस्ताव इसकी अगली कड़ी है। कहा कि अन्य राज्य सरकारों को भी अधिग्रहित मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना चाहिए।

बैठक में बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा कि संतों को बोलते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनकी वाणी से किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। यदि कोई मन, वाणी, कर्म से किसी की भावनाओं का ठेस पहुंचाता है, तो यह भी एक प्रकार की हिसा है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

बैठक में श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज, महंत अमनदीप सिंह, ज्ञानी महंत खेम सिंह, संत निर्भय सिंह, संत सिमरन सिंह, संत हरजोध सिंह, संत जसकरन सिंह, संत तलविदर सिंह, संत सुखमन सिंह, संत विष्णु सिंह आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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