13 जुलाई को पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम हो जाएगी। इस कारण रात में पृथ्वी के आसमान में सुपरमून देखने को मिलेगा। चांद इस दौरान पृथ्वी से सिर्फ 357,264 किलोमीटर होगा। सुपरमून का समुद्र पर प्रभाव भी देखने को मिलेगा। सुपरमून के कारण उच्च और कम ज्वार की एक बड़ी श्रृंखला देखने को मिल सकती है। खगोलविदों का मानना है कि सुपरमून के दौरान तटीय इलाकों में आने वाले तूफान से बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।इसके साथ ही सुपरमून के कुछ घंटों बाद फुलमून होगा। ‘फुलमून’ 2-3 दिन तक देखा जा सकता है। ये असल में फुलमून नहीं होगा, लेकिन चांद के आकार के कारण ये उसी तरह दिखाई देखा। इसके साथ ही इस दौरान चांद पर परछाई की स्ट्रिप बहुत पतली दिखाई देगी और बदलाव इतना धीरे होगा कि ये फुलमून की ही तरह लगेगा। सुपरमून का मतलब ये नहीं है कि चांद के पास इस दौरान किसी खास तरह की ताकत आ जाएगी। सुपरमून का मतलब है कि इस दौरान चांद समान आकार से ज्यादा बड़ा दिखेगा। इसके अलावा पहले से कुछ ज्यादा ही चमकदार भी दिखेगा। ऐसा इसलिए होता है कि चांद धरती की कक्षा के बहुत करीब आ जाता है। इस पोजिशन को परीजी कहते हैं। इसके अलावा पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान चांद दूर भी जाता है, जिसे अपोजी कहते हैं। इस दौरान चांद पृथ्वी से 4,05,500 किमी दूर होता है।
साल 2022 का सबसे बड़ा सुपरमून 13 जुलाई को दिखाई देगा। 13 जुलाई को 12:07 AM पर रात में सुपरमून दिखाई देगा। इसके बाद ये 2023 में 3 जुलाई को दिखाई देगा। सुपरमून को बकमून के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा दुनिया भर में इसके अलग-अलग नाम हैं
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