राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत उत्तराखंड के दौरे पर हैं. सोमवार को उन्होंने धर्मनगरी हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम में प्रतिभाग किया. जी-20 की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आत्मा और परमात्मा सर्वत्र हैं. दुनिया में जो भी विविधता है, उससे हमारा आत्मीय संबंध है. हमें स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि कुटुंब के लिए जीना है.
मोहन भागवत ने आगे कहा, ‘पर्यावरण और प्रकृति हमारी माता है. इसका दोहन ठीक नहीं. उन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की अवधारणा को विविध पहलुओं से समझाया’. उन्होंने कहा कि भारत का उत्थान विश्व कल्याण के लिए हुआ है. हमें इस अर्थ को समझने की जरूरत है. भारत के अमरत्व की यही धारणा है. ‘विविधता में एकता’ भारत की पहचान है. ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की परिकल्पना तभी साकार होगी, जब धर्म और जाति से ऊपर उठकर मनुष्य खुद को मनुष्य समझे. यही नहीं, जीव-जंतु और पेड़-पौधों को भी जीव समझें. भारत का ज्ञान विश्व कल्याण के लिए है. उन्होंने कहा, ‘धर्म वही है, जिसे धारण किया जाए’.
देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आत्मा और परमात्मा सर्वत्र है. दुनिया में जो भी विविधता है, उससे हमारा आत्मीय संबंध है. हमें स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि कुटुंब के लिए जीना है. पर्यावरण और प्रकृति हमारी माता है, इसका दोहन ठीक नहीं है. इससे पूर्व उन्होंने शिवालय में रुद्राभिषेक करते हुए देश की मंगल कामना के लिए पूजा की.
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