हरिद्वार: पिछले दिनों बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और उसके बाद सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया है. जिसको लेकर योग गुरु बाबा रामदेव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा इन दिनों देश में रिलीजियस टेररिज्म (धार्मिक आतंकवाद) चल रहा है. जिसके तहत सनातन धर्म पर तरह-तरह के लांछन लगाकर षड्यंत्र के तहत भारत को अपमानित करने का कार्य किया जा रहा है. इसका सभी देशवासियों को विरोध करना चाहिए.
बता दें कि पिछले दिनों बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को दंगा कराने वाली और समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताया था. वहीं, सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस के कुछ अंशों को टिप्पणी करते हुए, उसे दलित और वंचितों के खिलाफ बताया. साथ ही कहा कि इसे करोड़ों हिन्दू नहीं, बल्कि तुलसीदास अपनी खुशी के लिए लिखा था. वहीं, इन दिनों बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की खूब चर्चा हो रही है. कई लोग धीरेंद्र शास्त्री को जेल भेजने की बात कर रहे हैं. इन सभी मुद्दों पर बाबा रामदेव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
बाबा रामदेव ने कहा देश में एक धार्मिक आतंकवाद चल रहा है. जिसका मकसद केवल और केवल हिंदू सनातन धर्म को नीचा दिखाना है. हमें समझना होगा कि सनातन मूल्य क्या है? यह एक शाश्वत वैज्ञानिक और सार्वभौमिक मूल्य है. जो इंटरनल ट्रुथ है वही सनातन धर्म है. अब उस सनातन धर्म पर जो लोग तरह-तरह के लांछन लगा रहे हैं. कभी हमारे धर्म शास्त्र का आश्रय लेकर तो कभी हमारे महापुरुषों के चरित्र पर लांछन लगा कर कुत्सित प्रयास कर रहे हैं. यह सारे के सारे भारत विरोधी हैं और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के इशारे पर यह षड्यंत्र कर रहे हैं. इसका सारे देशवासियों को पुरजोर विरोध करना चाहिए.
वहीं, बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री का कथित चमत्कारी दरबार इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. हर कोई इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है. कोई उसे विद्या, कोई चमत्कार तो कोई उसे अंधविश्वास बता रहा है. जिस पर बाबा रामदेव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. बागेश्वर धाम पर रामदेव ने कहा भारत की जो परंपरा रही है, हम भौतिक सत्यों को सम्मान देते हैं. इसके साथ जो सनातन सत्य है. अदृश्य अमूर्त जो आध्यात्मिक शक्ति है, वह भी सत्य होते हैं.
लेकिन उसमें किसी प्रकार का ढोंग, आडंबर, पाखंड, अंधविश्वास, भूत-प्रेत, शनि राहु-केतु के जो पूरा पाखंड का बोलबाला है, उसको हमने कभी धर्म और संस्कृति नहीं माना है. वही यह भी सच है कि यदि भौतिक विज्ञान है तो आध्यात्मिक विज्ञान भी है. पारमार्थिक शक्तियां और सामर्थ्य हुआ करता है. अब वो एक प्रमाणिकता का विषय है कि इन शक्तियों को कौन कितनी प्रमाणिकता से जी रहा है.
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