कांवड़ मेले के बाद ग्रामीण इलाकों और कांवड़ यात्रा मार्ग पर कूड़े के अंबार लगे हुए हैं लेकिन गांवों में जनप्रतिनिधियों के नहीं होने से ग्रामीण सफाई के लिए अधिकारियों का मुंह ताक रहे हैं।इससे ग्रामीण जहां दुर्गंध की मार झेल रहे हैं, वहीं उन्हें बरसात के मौसम में संक्रमण फैलने का भी डर सता रहा है।
14 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा सकुशल संपन्न हो चुकी है। कांवड़ मेला हरिद्वार से लेकर गांवों तक फैला हुआ था। कांवड़ यात्रा मार्ग ग्रामीण क्षेत्रों के बीच से गुजरा था। कांवड़ पटरी मार्ग से कांवड़ यात्री यूपी के नारसन बॉर्डर से होते हुए गुजरे। वहीं, बहादराबाद से धनौरी-इमलीखेड़ा और नजीबाबाद मार्ग आदि से भी कांवड़ यात्री हरकी पैड़ी से जल लेकर अपने गंतव्य की ओर गए। इससे रास्तों पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। हाईवे से लेकर कांवड़ पटरी और अन्य रूटों पर प्लास्टिक की खाली बोतलें और अन्य गंदगी फैली हुई है। इससे शहर में तो सफाई अभियान शुरू कर दिया गया है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधान समेत अनेक जनप्रतिनिधियों के नहीं होने से ग्रामीण किसी को साफ-सफाई के लिए भी नहीं कह पा रहे हैं। इस वजह से ग्रामीण इलाकों से गंदगी उठाने वाला कोई नहीं मिल रहा है। इसके कारण यहां गंदगी से संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है।
क्षेत्र में हरिद्वार-लक्सर मार्ग पर सड़क किनारे मिस्सरपुर, फेरूपुर, धनपुरा और पदार्था समेत कई स्थानों पर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। कांवड़ मेले से पहले और बाद में हरिद्वार-लक्सर मार्ग पर सड़क किनारे साफ-सफाई कराई जाती थी। ग्राम प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के बाद से ग्राम पंचायतों में साफ सफाई का कार्य रुक गया है। पंकज चौहान, श्रवण कुमार, प्रमोद और राजकुमार आदि ने डीएम से हरिद्वार-लक्सर मार्ग पर सड़क किनारे लगे कूड़े के ढेर हटवाने की मांग की है।
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