गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में योग विज्ञान विभाग की ओर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस का विषय भारतीय पारंपरिक योग पद्धतियां सिद्धांत और अभ्यास रहा।मुख्य अतिथि पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी उच्च शिक्षा में योग को शुरू के लिए जाना जाता है। इसके साथ-साथ पारंपरिक योग के शिक्षण के लिए भी यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
मुख्य वक्ता के रूप में श्री श्री विश्वविद्यालय उड़ीसा कटक के कुलपति प्रोफेसर बीआर शर्मा ने कहा कि आज देश दुनिया में योग सबके समक्ष है। वह उसका वास्तविक स्वरूप नहीं है। आसन, प्राणायाम को ही योग समझ लिया गया है। यह पूर्णत योग नहीं है। योग की सही अवधारणा को लोगों तक पहुंचाने में यह कांफ्रेंस महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग के मूल व सही स्वरूप को प्रस्तुत करने में सहायक होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी सही अर्थों में योग विज्ञान की शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका का निर्वाह कर रहा है। योग विशेषज्ञ व शिक्षाविद् प्रोफैसर ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि योग की पारंपरिक पद्धतियों के शिक्षण को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। परंपरागत योग विज्ञान के माध्यम से अपने जीवन की विभिन्न विकृतियों को दूर कर अध्यात्म व योग के क्षेत्र में अपने को स्थापित कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि इस आयोजन में देश-विदेश के योग विज्ञान के क्षेत्र में जुड़े विशेषज्ञ व शोध छात्र और शिक्षक अपने-अपने अनुभव साझा कर यहां से बहुत कुछ सिखकर जाएंगे। योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार त्यागी ने बताया कि कार्यक्रम में लगभग तीन सौ से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस मौके पर डॉ. ऊधमसिंह, प्रो. सत्यदेव निगमालंकार, प्रो. कर्मजीत भाटिया, प्रो. राम प्रकाश वर्णी, प्रोफेसर औतार लाल मीणा, डॉ. योगेश्वर दत्त आदि मौजूद रहे।
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