हरिद्वार: उत्तराखंड यानी देवभूमि, मान्यता है कि यहां कण-कण में देवों का वास है. हिन्दू आस्था के सबसे बड़े केंद्रों में से चारधाम भी यहीं स्थित है. हिन्दू धर्म में पवित्र माने जाने वाली नदी गंगा और यमुना भी यहीं से निकली है. इसके साथ ही उत्तराखंड हिन्दू बाहुल्य राज्य भी है, लेकिन पिछले कुछ सालों में राज्य में काफी डेमोग्राफिक चेंज आया है, जिसकी वजह से मैदानी इलाकों में आश्चर्यजनक ढंग से गैर हिन्दू आबादी की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. जानकार इसे आने वाले समय खतरे की आहट बता रहे हैं. वहीं, गैर हिन्दुओं की बढ़ती संख्या से संत साधु समाज भी चिंतित है.
हरिद्वार की पहचान हिंदुओं की आस्था के केंद्र से है. यहां गंगा स्नान के लिए सालों भर करोड़ों श्रद्धालु आते हैं. वहीं, कुंभ मेले के दौरान हरिद्वार विश्व भर में फैले हिंदुओं की आस्था का केंद्र बन जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में हरिद्वार में जनसांख्यिकीय असंतुलन बढ़ा है. सीमांत जिला होने के चलते उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिले से बड़ी तादाद में गैर हिंदू यहां आकर कानूनी और गैरकानूनी ढंग से बस गए हैं. अगर पिछले 10 सालों की बात करें तो लगभग 40 फीसदी गैर हिंदुओं की संख्या बढ़ोतरी देखने को मिली है.
गौर करने वाली बात यहां यह है कि साल 2001 और 2011 में हुई जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड के 4 सबसे बड़े जिलों में काफी डेमोग्राफिक चेंज दिखा है जिसमें हरिद्वार, उधमसिंह नगर, देहरादून और नैनीताल जनपद शामिल हैं. जनगणना के अनुसार मैदानी इलाकों में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है. साल 2000 की जनगणना अनुसार राज्य में मुस्लिमों की संख्या 10 लाख 12 हजार 141 थी, जिसमें अकेले मैदानी क्षेत्र में ही 9 लाख 58 हजार 410 संख्या थी. वहीं, पर्वतीय क्षेत्र में मुस्लिमों की संख्या 5 हजार 371 थी. वहीं, 2011 में हुई जनगणना के अनुसार प्रदेश में मुस्लिम आबादी बढ़कर 14 लाख 6 हजार 825 हो गई. इसमें तराई क्षेत्र में 13 लाख 43 हजार 185 और पहाड़ी क्षेत्र में 63 हजार 640 हो चुकी थी.
इस बढ़ते डेमोग्राफिक चेंज की वजह से हरिद्वार के साधु-संतों ने ही सबसे पहले उत्तराखंड के कई स्थानों पर गैर हिंदुओं के अवैध धार्मिक स्थलों का मुद्दा उठाया था. जिसे लैंड जिहाद का नाम दिया गया था. उसके बाद सरकार ने मामले में सर्वे कराया तो धार्मिक प्रतीकों के नाम पर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण की बात उजागर हुई. अब मामले में सरकार के सख्त रुख से संतों में संतोष है. अब संत इसके खिलाफ अभियान छेड़ने की बात कह रहे हैं.
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