भारत एक बार फिर से दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने में नाकाम रहा.तीन मैच की सीरीज में 2-1 से उसे हार झेलनी पड़ी. दक्षिण अफ्रीका ने जोहानिसबर्ग और केपटाउन टेस्ट जीता जबकि भारत ने सेंचुरियन में खेला गया पहला टेस्ट अपने नाम किया था. सीरीज शुरू होने से पहले माना जा रहा था कि इस बार विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम प्रोटीयाज टीम की धरती पर टेस्ट जीत का सूखा खत्म कर सकती है. उसके पास धाकड़ गेंदबाज और बड़े बल्लेबाज थे. लेकिन अलग-अलग कारणों से भारत नहीं जीत पाया. इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने का उसका इंतजार जारी है.आउट ऑफ फॉर्म मिडिल ऑर्डर- भारत की टेस्ट सीरीज में हार की सबसे बड़ी वजह रही मिडिल ऑर्डर का नहीं चल पाना. चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाज एक भी बड़ी पारी नहीं खेल पाए. दोनों की इस सीरीज में औसत 25 के आसपास रही जो बताती है कि दोनों किस कदर आउट ऑफ फॉर्म हैं. छह-छह पारी खेलने के बावजूद दोनों केवल एक-एक फिफ्टी लगा सके. लंबे समय से दोनों की नाकामी की सिलसिला चल रहा है जो दक्षिण अफ्रीका में भी जारी रहा. अगर इन दोनों में से कोई एक भी बड़ी पारी खेलता तो भारत जोहानिसबर्ग और केपटाउन में बड़ा स्कोर खड़ा कर सकता था.
खराब कैचिंग- भारत को इस सीरीज के दौरान उसकी कैचिंग ने भी निराश किए. कई अहम मौकों पर गेंदबाजों की मेहनत को फील्डर ने बर्बाद किया. ज्यादातर कैच विकेट के पीछे छोड़े गए. इसके तहत स्लिप और कीपर मौकों को भुना नहीं पाए. चेतेश्वर पुजारा, केएल राहुल और विराट कोहली जैसे बड़े खिलाड़ी स्लिप में खड़े होते हैं. लेकिन राहुल और पुजारा ने यहां पर मुस्तैदी नहीं दिखाई. केपटाउन टेस्ट की ही बात करें तो पुजारा ने दूसरी पारी में कीगन पीटरसन का आसान कैच टपका दिया. जब यह कैच टपकाया गया तब दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 86 रन चाहिए थे. बाद में पीटरसन 82 रन बनाकर आउट हुए. इसी तरह पहली पारी में पंत के हाथों टेंबा बवुमा का कैच छूटा. इसका फायदा उठाकर दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत के स्कोर के पास पहुंच गई.
टीम कॉम्बिनेशन में गड़बड़ी- भारतीय टीम सीरीज में छह बल्लेबाजों और पांच गेंदबाजों के साथ उतरी. दक्षिण अफ्रीका की तेज पिचों पर यह दांव कारगर नहीं रहा. भारत ने अश्विन के रूप में एक स्पिनर को उतारा. लेकिन न तो यहां के हालात उनके मददगार थे और न ही पिच. ऐसे में उनका ज्यादा इस्तेमाल भी नहीं हो पाया. पांच गेंदबाज खिलाने की वजह से एक बल्लेबाज कम हो गया. भारत ने ऐसी ही रणनीति ऑस्ट्रेलिया व इंग्लैंड में भी अपनाई थी लेकिन वहां फायदा मिला था क्योंकि स्पिन को मदद मिलती है. भारत दक्षिण अफ्रीका में अश्विन की जगह हनुमा विहारी को आजमा सकता था. विहारी स्पिन बॉलिंग भी कर लेते हैं. इससे भारत को एक अतिरिक्त बल्लेबाज मिल जाता. साथ ही जितने ओवर अश्विन ने किए उतने वे भी कर सकते थे.
बॉलिंग में लक की कमी- अगर कहा जाए कि भारत के पास इस समय दुनिया का सबसे अच्छा बॉलिंग अटैक है. जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी जैसे गेंदबाजों की बदौलत भारत विदेशी पिचों पर भी कमाल करता है. लेकिन दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के दौरान टीम इंडिया के आड़े लक आ गया. भारतीय गेंदबाजों ने बॉलिंग के दौरान पूरी ताकत झोंक दी थी. दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों ने भी माना कि भारतीय तेज गेंदबाजी काफी चुनौतीपूर्ण है. लेकिन शानदार बॉलिंग के बाद भी उसे समय पर विकेट नहीं मिल पाए. लक उनके पक्ष में नहीं रहा. गेंद कई बार बल्ले के पास से गुजरी लेकिन किनारा नहीं लगा. अगर थोड़ा सा भी लक साथ होता तो सीरीज का नतीजा पूरा अलग होता.
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