हाईकोर्ट ने हरिद्वार में मनसा देवी के लिए संचालित केबल कार (रोपवे) के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार, वन विभाग, नगर निगम हरिद्वार व रोपवे का संचालन करने वाली कम्पनी को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
कोर्ट ने पूछा कि फॉरेस्ट एक्ट में प्रतिबंधित होने के बाद भी रिजर्व टाइगर फॉरेस्ट एरिया में रोपवे का व्यावसायिक कार्य कैसे किया जा रहा है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई।
हरिद्वार निवासी अश्विनी शुक्ला की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें कहा है कि 1983 में उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर पालिका परिषद हरिद्वार को पत्र लिखकर कहा था कि वह मनसा देवी मंदिर के लिए एक केबल कार (रोपवे) का संचालन करे। किसी अन्य संस्था को इसे चलाने की अनुमति कतई न दें। रोपवे के संचालन के बाद 1986 में मनसा देवी मंदिर राजाजी नेशनल पार्क के अंदर आ गया। इसके बाद फिर 2015 में यह क्षेत्र रिजर्व टाइगर फॉरेस्ट एरिया में आ गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इंडियन फॉरेस्ट एक्ट व कंजर्वेशन ऑफ फॉरेस्ट एक्ट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि इन क्षेत्रों में किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधियां नहीं की जा सकती हैं। बुधवार को सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार, वन विभाग, नगर निगम हरिद्वार व रोपवे का संचालन करने वाली कम्पनी को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
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